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आप अकेले बोल तो सकते है,परन्तु बातचीत नहीं कर सकते। आप अकेले आनन्दित हो सकते है,परन्तु उत्सव नहीं मना सकते। अकेले आप मुस्करा तो सकते है परन्तु हर्षोल्लास नहीं मना सकते हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं यही रिश्तों की खूबसूरती है।
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रिश्तों मे तकरार का एक ही कारण है, मैं सही, तुम गलत। कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है। बोलने वाले को भी और चुप रहने वाले को भी। इसलिए वास्तव में वही समझदार है, जिसे ये ज्ञान हो जाये कि कहां बोलना है और कहां चुप रहना है।
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अपनी ऊर्जा को चिंता करने मे खत्म करने से बेहतर है इसका उपयोग समाधान ढूंढने मे किया जाए !!
गुस्सा करने के बदले रो लेना अच्छा है कि गुस्सा दूसरों को तक़लीफ़ देता है जबकि आंसू चुपचाप आत्मा में से बहकर हृदय को स्वच्छ करते हैं।