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शब्दों का वजन तो बोलने वाले के भाव पर आधारित है। एक शब्द मन को दुःखी कर जाता है, और दूसरा शब्द मन को खुश कर जाता है, क्योंकि हमारी वाणी ही हमारे व्यक्तित्व और आचरण का परिचय कराती है।
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जिस प्रकार "पानी" के बगैर, "नदी" का कोई मतलब नहीं रह जाता है, उसी प्रकार "मधुरता" के बगैर, "संबंधों" का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
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दिमाग कचरे का डब्बा नही, जिसमे आप, क्रोध, लोभ, मोह, अभिमान, और जलन रखे, दिमाग एक खजाना है जिसमे आप, प्यार, सम्मान, ज्ञान, विज्ञान, मानवता, दया, जैसी बहुमूल्य चीजे रख सकते है। याद रखिये असफलता अनाथ होती है, और सफलता के रिश्तेदार अनेक होते हैं। जहाँ आप कुछ नहीं कर सकते। वहाँ भी एक चीज जरूर कीजिए। "कोशिश "
दौलत और अमीरी इंसान को थोडे़ वक्त के लिए बड़ा बनाती है, लेकिन इंसानियत और अच्छे विचार इंसान को हमेशा बुलंद रखते हैं।