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बल और शक्ति की आज्ञा टालना आसान है मगर प्यार की आज्ञा टालना आसान नहीं हैं। लक्ष्य अगर सर्वोपरि है तो फिर आलोचना तारीफ विवेचना कुछ मायने नहीं रखती है l
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शिक्षा" हमें अंगूठे के निशान से हस्ताक्षर तक ले गयी। टैक्नोलॉजी हमें हस्ताक्षर से फिर अंगूठे के निशान पर ले आई। इसलिये सब फैसले हमारे नहीं होते, कुछ फैसले वक्त के भी होते हैं।
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सच्चे व्यक्ति का व्यक्तित्व नमक की तरह अनोखा होता है, जिसकी उपस्थिति याद नही रहती, मगर उसकी अनुपस्थिति प्रत्येक चीज को बेस्वाद बना देती है।
समस्याओं का अपना कोई साईज नही होता। वो तो सिर्फ हमारी हल करने की क्षमता के आधार पर छोटी और बडी़ होती है।