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गलत व गलती मे बहुत छोटा फर्क होता है! गलत सदा गलत नीयत से ही संभव होता है जबकि, गलती सदा भूल वश होती है! इसलिये गलतियाँ तो कीजिए, पर गलत किसी के साथ मत कीजिये !
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"बोलना" और "प्रतिक्रिया" करना जरूरी है लेकिन "संयम" और "सभ्यता" का दामन नहीं छूटना चाहिये आजाद रहिये "विचारों" से परन्तु बंधे रहिये "संस्कारों" से।
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किसी को चोट पहुँचाना उतना ही आसान है जैसे पेड़ से पत्ता तोड़ना, लेकिन किसी को खुश करना एक पेड़ उगाने जैसा है। इसमें बहुत समय, देखभाल और धैर्य लगता है।
ज्ञान की बारिश जहाँ भी हो रही हो भीगते रहिए। हर शख्स कुछ न कुछ सिखाता है बस सीखते रहिए।