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"वाणी" और "पानी" दोनों में ही "छवि" नज़र आती है "पानी" स्वच्छ हो तो "चित्र" नज़र आता है "वाणी" मधुर हो तो "चरित्र" नज़र आता है।
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क्या खुब कहा है किसी ने, बीतता वक़्त है, लेकिन। ख़र्च हम हो जाते हैं। कैसे "नादान"है हम दुःख आता है। तो,"अटक" जाते है! औऱ सुख आता है तो "भटक" जाते हैं।
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चाह कर भी अपने प्रति लोगो की धारणा नहीं बदल सकते। इसलिए शांति से अपना जीवन जिये औऱ मस्त रहे प्रसन्न रहे।
समस्याओं का अपना कोई साईज नही होता। वो तो सिर्फ हमारी हल करने की क्षमता के आधार पर छोटी और बडी़ होती है।