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पुण्य किसी को दगा नहीं देता और पाप किसी का सगा नहीं होता जो कर्म को समझता है उसे धर्म को समझने की जरूरत ही नहीं संपत्ति के उत्तराधिकारी कोई भी या एक से ज्यादा हो सकते है लेकिन कर्मों के उत्तराधिकारी केवल हम स्वयं ही होते है l
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चाबी से खुला ताला बार बार काम मे आता है, लेकिन हथौड़े से खुलने पर दुबारा काम का नही रहता। इसी तरह संबन्धों के ताले को क्रोध के हथौड़े से नहीं बल्कि प्रेम की चाबी से खोलें।
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कच्चे आम का स्वभाव खट्टा है, गुड़ का स्वभाव मीठा है, मिर्च का स्वभाव तीखा है, नमक की प्रकृति लवणता है, फिर भी अचार ने कितना अच्छा एडजस्टमेंट कर लिया है और सभी को अच्छा लगता है। उसी प्रकार जिंदगी में सबके साथ एवं सभी के स्वभाव के साथ एडजस्टमेंट करना सीख लें तो सबको कितने अच्छे लगेंगे और जीवन मधुर हो सकता है l
“सारी मुसीबतें” रुई से भरे थैले की तरह होती हैं, देखते रहेंगे तो बहुत भारी दिखेंगी और उठा लेंगे तो एकदम हल्की हो जाएंगीं।