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जो समय "चिंता" में व्यतीत होता है वह "कूड़ेदान" में जाता है और जो समय "चिंतन" में व्यतीत होता है वह "तिजोरी" में जमा होता है।
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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ। जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे, चाहे वो सामान हो या सम्मान।
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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे चाहे वो सामान हो या सम्मान।
संसार में कोई भी मनुष्य सर्वगुण संपन्न नही होता! इसलिए कुछ कमियों को नजरंदाज करिए और रिश्ते बनाए रखिए!