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शब्दों का वजन तो बोलने वाले के भाव पर आधारित है। एक शब्द मन को दुःखी कर जाता है, और दूसरा शब्द मन को खुश कर जाता है, क्योंकि हमारी वाणी ही हमारे व्यक्तित्व और आचरण का परिचय कराती है।
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ढूंढने पर आपको वो ही मिलेंगे जो खो गए थे, वो इंसान कभी नही मिलेंगे जो बदल गए है। तो फिर साझेदारी करो तो किसी के दर्द की करो। क्योंकि खुशियों के तो दावेदार बहुत हैं।
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कल एक बात सीखी रंगों से,अगर निखरना है तो बिखरना जरूरी है l जीवन में सुख,आनंद मिले तो शुक्र करो, ना मिले तो सब्र करो।
“सारी मुसीबतें” रुई से भरे थैले की तरह होती हैं, देखते रहेंगे तो बहुत भारी दिखेंगी और उठा लेंगे तो एकदम हल्की हो जाएंगीं।