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हम न नास्तिक है न आस्तिक, हम तो केवल वास्तविक है। जो अच्छा लगे उसको ग्रहण करो, जो बुरा लगे उसका त्याग करो फिर चाहे वो विचार हो, कर्म हो, या धर्म हो।
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जैसे उबलते पानी में कभी परछाई नही दिखती ठीक उसी प्रकार परेशान मन से समाधान भी नही दिखते शांत होकर देखिए सभी समस्याओं का हल मिल जाएगा l
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फल और फूल, पेड़ पर पत्तों से कम होते हैं परन्तु फिर भी वो पेड़ उन्हीं के नाम से जाना जाता हैl उसी तरह, हमारे पास अच्छी बातें कितनी ही क्यूँ ना हों, पर पहचान तो सिर्फ अच्छे कर्मों से ही होती हैl
कुछ नेकियाँ और कुछ अच्छाइयां अपने जीवन में ऐसी भी करनी चाहिए, जिनका ईश्वर के सिवाय कोई और गवाह ना हो।