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परिस्थितियों के अनुसार सब चीज सुंदर हैं। जो स्कूल की घंटी सुबह के समय बेकार लगती है, वही छुट्टी के समय बहुत अच्छी लगती है।
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जब तक आप सामने वाले के मन की करते है, तो अच्छे है। अगर, एक बार अपने मन की कर ली तो, सभी अच्छाइयां बुराई में तब्दील हो जाती है।
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जब हम नादान थे तो जिंदगी के मजे लेते थे, समझदार हुए अब तो ये जिंदगी हमारे मजे ले रही है।
“छोटा” बनके रहें, मिलेगी हर बड़ी “रहमत” “बड़ा” होने पर तो, “मां” भी “गोद” से उतार देती है।