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समय का कैसा दौर है, रात- दिन की दौड़ है खुश रहने का समय नहीं, बस खुश दिखने की होड़ हैl
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जीवन तो बांसुरी की तरह है, इसमें बाधा रूपी कितने ही छेद क्यों ना हो, लेकिन जिसे बजाना आ गया, समझो उसे जीना आ गया।
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"अनुमान" गलत हो सकता है पर, "अनुभव" कभी गलत नहीं होता, क्योंकि "अनुमान" हमारे मन की "कल्पना" है, और "अनुभव" हमारे जीवन की "सीख" है।