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जिस प्रकार "पानी" के बगैर, "नदी" का कोई मतलब नहीं रह जाता है, उसी प्रकार "मधुरता" के बगैर, "संबंधों" का कोई अर्थ नहीं रह जाता है।
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कागज के टुकड़े करना सरल है, कपड़े के टुकड़े करना थोड़ा कठिन है, लोहे के टुकड़े करना काफी कठिन है, लेकिन सबसे ज्यादा कठिन कुछ है तो वह है हमारे अंदर स्थित अहम के टुकड़े करना।
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स्वभाव सूर्य जैसा होना चाहिए, न उगने का अभिमान और न डूबने का गम जीने का यही अंदाज रखो । जो तुम्हे ना समझे, उसे नजरअंदाज रखो। देने के लिए कुछ न होतो सामने वाले को सम्मान दे, यह भी बड़ा दान होगा।
ज्ञान की बारिश जहाँ भी हो रही हो भीगते रहिए। हर शख्स कुछ न कुछ सिखाता है बस सीखते रहिए।