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बल और शक्ति की आज्ञा टालना आसान है मगर प्यार की आज्ञा टालना आसान नहीं हैं। लक्ष्य अगर सर्वोपरि है तो फिर आलोचना तारीफ विवेचना कुछ मायने नहीं रखती है l
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हमारी उपलब्धियों में दूसरों का भी योगदान होता है क्योंकि समन्दर में भले ही पानी अपार है पर सच तो यही है कि वो नदियों का उधार होता है।
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चाह कर भी अपने प्रति लोगो की धारणा नहीं बदल सकते। इसलिए शांति से अपना जीवन जिये औऱ मस्त रहे प्रसन्न रहे।