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शिक्षा" हमें अंगूठे के निशान से हस्ताक्षर तक ले गयी। टैक्नोलॉजी हमें हस्ताक्षर से फिर अंगूठे के निशान पर ले आई। इसलिये सब फैसले हमारे नहीं होते, कुछ फैसले वक्त के भी होते हैं।
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जैसे जैसे आपका नाम ऊंचा होता है, वैसे वैसे शांत रहना सीखिए क्योंकि। आवाज हमेशा सिक्के ही करते है, नोटों को कभी बजते नहीं देखा।
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स्वयं की क्षमताओं पर, प्रयासों पर और स्वयं पर भरोसा रखो। दुनिया की कोई भी चीज ऐसी नहीं जो मनुष्य के प्रयासों से बड़ी हो।
ये दोस्ती का “बंधन “भी बडा अजीब है, मिल जाए तो बातें लंबी, “बिछड” जाए तो यादें लंबी।