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कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है I यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए I आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए तब तक कमाओ जब तक "महंगी" चीज "सस्ती" ना लगने लगे चाहे वो सामान हो या सम्मान।
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आप अकेले बोल तो सकते है,परन्तु बातचीत नहीं कर सकते। आप अकेले आनन्दित हो सकते है,परन्तु उत्सव नहीं मना सकते। अकेले आप मुस्करा तो सकते है परन्तु हर्षोल्लास नहीं मना सकते हम सब एक दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं यही रिश्तों की खूबसूरती है।
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धनवान बनने के लिए एक-एक कण का संग्रह करना पडता है औऱ गुणवान बनने के लिए एक-एक क्षण का सदुपयोग करना पडता है कोशिश धनवान और गुणवान दोनों बनने की करें क्योंकि दोंनो का जीवन मे बहुत महत्व है।
“किसी के प्रति मन में क्रोध लिये रहने की अपेक्षा उसे तुरंत प्रकट कर देना अधिक अच्छा है, जैसे क्षणभर में जल जाना देर तक सुलगने से अधिक अच्छा है।”