संगीत (Music) अपने आप में बेमिसाल साधना होती है और इससे जुड़ा साधक एक योगी ही होता है। भारतीय धरती पर ऐसे-ऐसे साधकों का जन्म होता रहा है जो एक साथ एक से अधिक विधाओं में प्रवीण होते हैं। हरियाणा के फरीदाबाद में मिर्जापुर गाँव (Mirzapur, Faridabad, Haryana) के निवासी पेशे से संगीत के प्रोफ़ेसर डॉ बलराम आर्य (Dr. Balram Arya) जी ऐसे ही अद्भुत साधक हैं। आप संगीत से तालुकात रखते हुए भी योग के क्षेत्र में छोटे-छोटे बच्चों को तराशकर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकाकर अनेक विश्व कीर्तिमान बनाने का कारनामा कर रहे हैं।

फरीदाबाद के मिर्जापुर गाँव के निवासी भूतपूर्व सैनिक श्री महिपाल आर्य जी एवं श्रीमती आशा यादव जी की गोद में 12 अगस्त 1989 को श्री बलराम आर्य जी का जन्म हुआ। शुरुआती शिक्षा निकट के स्कूल से करने के बाद फरीदाबाद के नेहरु कालेज (Nehru College) से संगीत विषय में आपने ग्रेजुएशन एवं गुरुग्राम (Gurugram) के राजकीय महाविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। परिवार में गीत-संगीत के प्रति बेहतर वातावरण होने के कारण तथा दादाजी महाशय ईश्वर सिंह आर्य जी के कुशल मार्गदर्शन के फलस्वरुप संगीत में रुझान बढता गया। आगे चलकर डॉक्टर मनमोहन कृष्ण भारद्वाज जी संगीत गुरु के रूप में मिले। पढ़ाई को आगे बढ़ाते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक (Maharshi Dayanand University, Rohtak) से संगीत विषय से एम फिल (M Phil) और एच डी (Ph D) करके नेशनल स्तर की पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण कर आप संगीत के प्रोफ़ेसर (Professor) बन गए।

संगीत के प्रति लगाव होने के साथ-साथ डॉ. बलराम आर्य जी का बचपन से ही योग (yoga) के प्रति भी प्रबल आकर्षण था अतः आप विद्यालय में योग सीखा करते थे। आपका मानना है कि संगीत मन को एवं योग तन को तंदुरुस्त बनाता है इसीलिए जब आप प्रोफ़ेसर बन गए तो मन में विचार आया कि क्यों न छात्रों को योग सिखाया जाए। आपने अपने इस मंसूबे को हकीकत में उतारना चाहा तथा बच्चों को योग सिखाने लगे। आपका कहना है, कि योग के माध्यम से हम अपने शरीर के समस्त रोगों को दूर करने के साथ-साथ अपने चरित्र का निर्माण भी कर सकते है। आपने “मानवीय निर्माण मंच” (Manviya Nirman Manch) नामक एक संस्था की स्थापना की एवं विधिवत तरीके से बच्चों को योग सिखाना प्रारंभ किया परिणामस्वरुप जून 2018 में आपके चार बच्चों ने योग में वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाते हुए विश्वविख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में अपना नाम दर्ज कराया। 7 वर्षीया कुमारी कीर्ति ने 16 मिनट 9 सेकेण्ड तक ठोड़ी शलभासन, 9 वर्ष के मास्टर पीयूष ने 3 मिनट 42 सेकंड तक तुलासन कर, 14 साल की कुमारी किरण ने 1 घंटे 5 मिनट तक शीर्षसन करके तथा 19 वर्षीय अमित ने बीस फीट हाइट के खंभे से मुँह से फायर पकड़ कर 10 आसन करके गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में अपना नाम दर्ज कराया। गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के नेशनल हेड (National Head) श्री आलोक कुमार जी ने स्वयं संपूर्ण कार्यक्रम का अवलोकन किया तदुपरांत वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (World Records) में दर्ज किए जाने की संस्तुति प्रदान की।

अपने बच्चों की इस उपलब्धि पर डॉ. बलराम आर्य जी के हौसलों को पंख लग गए और अब आप और भी उत्साह से इस दिशा में जुट गए। वर्ष 2019 में अथक प्रयास एवं एक वर्ष के कठिन अभ्यास के बाद आपके बच्चों ने और ऊंची छलांग लगाई तथा 23 वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए एक बार फिर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया। आपके बच्चों में कुमारी चंचल ने वृश्चिकासन, कु. निशा ने शशांक आसन, मास्टर सतीश ने मयूरासन, कु. हेमलता ने चक्रचाल आसन, कुमारी वर्षा ने माथे पर दीपक रखकर आठ आसान किये, मास्टर आकाश ने भी माथे पर दीपक रखकर पंद्रह आसान किये, कु. मोनिका ने शलभासन, कु. कीर्ति ने पूर्ण भुजंगासन, मास्टर सचिन एवं कु. लता ने सेतुबंधासन, कु. अंजना ने कश्यप आसन, कु. स्नेहा ने पूर्ण मत्स्येंद्र आसन, कु. ओमिसा ने अर्ध बद्ध पद्म पश्चिमत्तासन, कु. भावना ने एकपाद स्कंध आसन, कु. सीमा ने हनुमान पश्चिमोत्तानासन, कु. छवि ने पद्मासन, कु. कोमल एवं मास्टर यश ने भूनमन आसन, कु. भूमिका ने योगनिद्रा आसन, कु. ज्योति ने त्रिविक्रम आसन, कु. हिमानी ने गणेश आसन, कु. किरण ने सर पर दीपक रखकर तैतीस आसन, कु. सुनिधि ने त्रिविक्रम आसन तथा मास्टर सलीम ने वृश्चिक आसन करके वर्ल्ड रिकॉर्ड् में नाम दर्ज कराए।

आज मानवीय निर्माण मंच के माध्यम से श्री ईश्वर सिंह जी के संरक्षकत्व में डॉ बलराम आर्य जी अनगढ़े हीरों को तराशने में सतत रत हैं तथा न केवल फरीदाबाद के अपितु संपूर्ण हरियाणा की प्रसिद्ध शख्सियत बन गए हैं। आज आपको अनेक लोग तथा संस्थाएं सम्मानित करके खुद को गौरवान्वित महसूस करती हैं।