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"अच्छे व्यक्ति" के साथ "संबंध" उस "गन्ने" के समान है जिसे आप तोड़ो या मरोड़ो या काटो या फिर कुचल दो, आपको उससे मीठा रस ही मिलेगा कभी किसी को छोटा न समझिए हजारों के कपड़े शोरूम में लटकते रह गए और छोटा सा "मास्क" करोड़ों का व्यापार कर गया।
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"अच्छाई-बुराई" "इंसान" के "कर्मो" में होती है। कोई "बांस" का "तीर" बनाकर किसी को "घायल" करता है, तो कोई "बांसुरी" बनाकर बांस में "सुर" को भरता है।
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प्रकृति ने सिर्फ दो ही रास्ते दिए हैं! "या तो देकर जाएं या, फिर.. छोड़कर जाएं"! साथ ले जाने की कोई व्यवस्था नहीं है! अतःकुछ ऐसा छोड़कर जाए कि हमेशा लोगो कि यादो में बने रहे।
दिन की शुरूआत में लगता है की ज़िंदगी में पैसा बहुत ज़रूरी है लेकिन दिन ढलने पर समझ आता है कि ज़िंदगी में .शांति अधिक ज़रूरी है।