सभी मनुष्य एक ही ईश्वर के अंश हैं एवं उसी के बनाए हुए हैं, इसलिए हर दुख को भी वही दूर करता है बस उसे याद किया जाए सच्चे मन से, सच्चे अनुशीलन से, सत्कर्म से, सदवचन से। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर निवासी श्री कृष्णाकांत मिश्र जी (Mr. Krishnakant Mishra), जो आदरवश सभी सुधिजनों द्वारा कृष्णा गुरुजी (Krishna Guru Ji) के नाम से जाने जाते हैं, प्रभु की सच्चे मन से आराधना को समस्त विकारों से मुक्त होने का बड़ा सटीक मार्ग बना कर स्वयं तथा अन्य लोगों को आज स्वस्थ्य जीवन जीने हेतु पतवार बन संबल प्रदान करते हैं।
आपने अपने अंदर की शक्ति को पहचान कर खुद अपना इलाज करने का जो नायाब नज़रिया अपनाया तथा इससे आमजन को परिचित कराया, उसके चलते न केवल देश भर में अपितु विदेशों में आपकी अत्यधिक ख्याति प्रसारित हुई है। सम्पूर्ण विश्व मे आप जाकर लोगों को स्वस्थ्य रहने के लिए सिखाते हैं। इस हेतु आप दिव्य ज्योतिष चिकित्सा (Divine Astro Healing) तरीके का प्रयोग करते हैं जिसके तहत व्यक्ति को खुद के भीतर की शक्ति को पहचान कर प्रयास करना एवं प्रभु की आराधना करनी होती है। डिवाइन ऐस्ट्रोहीलिंग द्वारा मानसिक तनाव, आंख, नाक, कान सहित अनेक बीमारियों से मुक्त होने में सफलता पाई जा सकती है। विगत अनेक वर्षों से कृष्णा गुरुजी के सानिध्य में आने से हज़ारों व्यक्ति स्वास्थ लाभ प्राप्त कर चुके हैं। आप इस कार्य मे किसी से कोई भी धनराशि नही ग्रहण करते हैं। आपके द्वारा तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में 2800 से ज्यादा कैदियों के आध्यात्मिक उपचार करके उन्हें स्वस्थ रहने का मार्ग दिखाया। इतने अधिक संख्या में आध्यात्मिक उपचार से लोगो को स्वस्थ किए जाने से, अपने एक परिचित द्वारा सलाह दिए जाने पर विश्व रिकॉर्ड में दर्ज कराने हेतु गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of Records) के कार्यालय से संपर्क किया। समस्त तकनीकी पहलुओं एवं मानकों पर खरा उतरने पर आपका यह कार्य 6 जनवरी 2018 को गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में
आध्यात्मिक उपचार की सबसे बड़ी कक्षा (Largest session on spiritual healing) शीर्षक के साथ दर्ज हुआ। इसी प्रकार आपने जब कैलाश मानसरोवर पर 3640 मीटर की ऊंचाई पर अंतराष्ट्रीय योग महोत्सव के अवसर पर 21 जून 2018 को योग सत्र आयोजित कर लोगों को लाभान्वित किया तो वह भी गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (GBWR) में सर्वाधिक ऊंचाई पर योग की कक्षा (Yoga session at highest altitude) शीर्षक के साथ दर्ज हो गया।
दो विश्व रिकॉर्ड्स बनाने वाले एवं दुनिया को आध्यात्म व योग सिखाने वाले कृष्णा गुरु जी की कृष्णाकांत मिश्र से कृष्णा गुरु जी बनने के पीछे की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। छात्र जीवन मे ब्रेन ट्यूमर के इलाज के दौरान सीधा हाँथ लकवाग्रस्त हो जाने पर आपने उल्टे हाँथ से ही लिखने का निश्चय किया और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर आपने प्रतियोगिता परीक्षा उत्तीर्ण करके भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में सेवारत हो गए। वर्ष 2004 में आपने आर्ट ऑफ लिविंग का एक कोर्स किया तत्पश्चात सभी मनुष्यों की सेवा को ही अपना धर्म मानकर कर उसी में रत हो गए। आज आप डिवाइन ऐस्ट्रोहीलिंग की क्लास भी लेते है तथा विभिन वर्गों, समुदायों, सेना, कैदियों, वृद्धजनों, दिव्यांग जनों, कुष्ठ रोगियों के स्वास्थ एवं कल्यार्थ कार्य करते रहते हैं तथा उन्हें समाज का मुख्य अंग बनाकर मुख्यधारा से जोड़ते हैं। विगत कई वर्षों से आपने इंटरनेट एवं फ़ोन के माध्यम से हज़ारों लोगों के असाध्य रोगों का उपचार डिवाइन ऐस्ट्रोहीलिंग द्वारा स्वस्थ करके एक महती कार्य किया है। आपने अनेकानेक त्योहारों की ऐसी व्याख्या प्रस्तुत की कि त्योहारों के माध्यम से निर्बल, असहाय तथा अशक्त वर्ग की सेवा की जा सके। आपके द्वारा यह आदर्श व्यवस्था प्रस्तुत करने का अद्भुत एवं पुनीत कार्य आज भी अनवरत जारी है।
साल 1962 में इंदौर में जन्मे श्री कृष्णाकांत मिश्र उर्फ कृष्णा गुरुजी ने स्नातक करने के उपरांत जब ब्रेन ट्यूमर के इलाज के उपरांत अस्वस्थ हुए तो उस समय कोई सामान्य व्यक्ति होता तो टूट जाता लेकिन आपने अपनी अंतः चेतना से स्वयं को तो स्वस्थ किया ही वरन आज लाखों लोगों को सुखी एवं स्वस्थ जीवन जीने की राह दिखा रहे हैं।