“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” अर्थात जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महत्वपूर्ण होती है। ऐसी मातृभूमि के प्रति आदर और श्रद्धा भारत के प्रत्येक जन-जन में है और वह अपनी मातृभूमि और सनातन की रक्षा के लिये सतत् कटिबद्ध है। इतिहास साक्षी है कि स्वतंत्रता आंदोलन में असंख्य लोगों ने अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र कराने के लिये अपने प्राणों को हँसते-हँसते न्योछावर कर दिया। आज उसी का परिणाम है कि हम सब स्वतंत्र भारत में स्वतंत्रता के साथ जीवन यापन कर रहे हैं। परन्तु वर्तमान समय अत्यधिक विकट समस्याओं का है। हम सब कहाँ जा रहे है? हमारी संतानों के आचरण कैसे बन रहे हैं? हम अपनी संतानों को क्या बना रहे हैं? हम लोग अपनी संतानों को विरासत में क्या दे रहे हैं? हमारे समाज के अधोपतन की गहराई असीम क्यों होती जा रही है? विचार और व्यवहार भी प्रदूषण क्यों हो रहे हैं? सर्वत्र प्रदूषण ही प्रदूषण क्यों है? आदि प्रश्नों के उत्तर सोचकर मन अधीर हो जाता है। तब एकमात्र देवाधिदेव महादेव की शरण में जाकर प्रार्थना करने का विकल्प मानस में उत्पन्न हुआ। यह विचार महा महोपाध्याय डॉक्टर शिव वरण शुक्ल जी (Dr. Shiv Varan Shukla) के हैं, जो संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान होने के साथ ही साथ 5 वर्ष मदन मोहन मालवीय पीजी कॉलेज कलाकांकर में आयोग द्वारा चयनित प्राचार्य रहे और 7 वर्ष छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग (छत्तीसगढ़ शासन) रायपुर में अकादमिक सदस्य एवं अध्यक्ष के रूप में कार्य किया तथा वर्तमान में गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर में एडजंक्ट प्रोफेसर के रूप में चयनित हुए हैं। डॉ शुक्ल ने G-20 की सफलता के लिये, भारत को पुनः विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठापित करने के लिये तथा लोकप्रिय एवं जनहितकारी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी (Mr. Narendra Modi, PM, India ) को ‘पृथ्वी रत्न’ (Prathvi Ratna) बनाने के लिये 22 फरवरी 2023 को सिद्ध ज्वालेश्वर शिव मंदिर के प्रांगण में पतित पावनी गंगा जी के तट पर 27 घण्टे का निरन्तर महामृत्युंजय महामंत्र का जाप करके विश्व रिकार्ड स्थापित किया जिसका निरीक्षण गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Golden Book of World Records) के अधिकारी गण, जिला प्रशासन के अधिकारी गण तथा ग्राम प्रधानों ने किया तथा डॉक्टर शुक्ल की तपस्या देखकर हर्ष का अनुभव भी किया गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ ही वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने भी उक्त कार्य की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की। इस कार्यक्रम में हजारों क्षेत्रीय जनता एवं प्रधानों के साथ जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन तथा जिले का स्वास्थ्य विभाग विशेष सक्रिय रहा। उप जिलाधिकारी, डलमऊ श्री आसाराम वर्मा जी ने कार्यक्रम का निरीक्षण कर प्रसन्नता व्यक्त की। इसके साथ ही साथ डॉ० शुक्ल ने चित्रकूट धाम जाकर इच्छानुसार फल देने वाले कामदगिरि की परिक्रमा करके अपने उक्त तीनों इच्छाओं को भगवान के श्री चरणों में अर्पित किया।

इसके बाद वर्ल्ड रेकॉर्ड होल्डर डॉ० शुक्ल की संकल्पसाधना और अधिक बढ़ती ही रही और विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल, 2023 को देवाधिदेव महादेव के सिद्ध ज्वालेश्वर शिव मंदिर से डॉक्टर शुक्ला ने जन समूह के मध्य भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी को ‘पृथ्वी रत्न’ उपाधि से अलंकृत करने की घोषणा की और हजारों लोगों ने करतल ध्वनि से डॉक्टर शुक्ल की इस घोषणा का समर्थन किया जिसके प्रपत्र मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश श्री दुर्गा शंकर मिश्रा जी को प्रस्तुत किए गए।तदुपरांत 22 अप्रैल 2023 को ही डॉक्टर शुक्ल जी अपने समस्त परिवार के साथ देवाधिदेव महादेव सिद्ध ज्वालेश्वर शिव जी की अति विशिष्ट अभ्याचना करने में संलग्न हो गए। जिसमें डॉ० शिवम् शुक्ल एवं श्रीमती प्रज्ञा शुक्ला ने 27 किलो गन्ने का रस देवाधिदेव महादेव के ऊपर शिव सहस्त्रनाम के मांगलिक उच्चारण के साथ अर्पित किया, तदुपरान्त शिवांश शुक्ल ने 27000 बिल्व पत्र देवाधिदेव ज्वालेश्वर शिवलिंग पर चढ़ाऐ। उसके बाद श्रेयांसी ने 13000 धतूरे के फल भगवान शंकर जी को समर्पित किए और डॉ० शिवा ने 13000 कमल पुष्पों से देवाधिदेव महादेव जी की अभ्यर्चना की। इस प्रकार देवाधिदेव महादेव जी को प्रसन्न करके डॉक्टर शुक्ल ने उक्त तीन उद्देश्यों की स्पूर्ति के लिए हजारों लोगों के साथ प्रार्थना की। उक्त सभी कार्यों की प्रशंसा करते हुए गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स के अधिकारीगणों ने क्षण-प्रतिक्षण कार्य का निरीक्षण करते हुये उक्त चारों कार्यों को वर्ल्ड रिकार्ड में सम्मिलित किया।

इस प्रकार डॉक्टर शुक्ल जी ने G-20 की सफलता, भारत विश्व गुरु बने और माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के पृथ्वी रत्न के रूप में प्रतिष्ठित होने के लिए देवाधिदेव शिव जी की अभ्यर्चना करते हुए 5 वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किये। डॉ शुक्ल जी का राष्ट्र भक्ति के प्रति यह अद्वितीय और अनुकरणीय कार्य है। तदुपरान्त समस्त उपस्थित विद्वानों एवं क्षेत्रीय जनों के द्वारा एक स्वर से देवाधिदेव महादेव से प्रार्थना की गयी कि भारतवर्ष में सम्पन्न होने वाले G-20 सम्मेलन को सफल बनावे तथा भारत को विश्व गुरू बनने एवं प्रधानमंत्री श्री मोदी जी को ‘पृथ्वी रत्न’ के सम्मान से विभूषित होने के वैश्विक समीकरण शीघ्र बनें। उसके बाद 57 किलो हवन सामग्री से हवन कार्य किया गया। इस कार्य के बाद भी उक्त संकल्पों को परिपूर्ण करने के हेतु प्रार्थनाऐं देवार्पित की गयीं। इस अवसर पर अनेक बुद्धिजीवियों, समाजिकसेवियों द्वारा कार्यक्रम की सराहना करते हुये डॉ० शिववरण शुक्ल के राष्ट्रप्रेम की प्रशंसा की और उन्हें हार्दिक बधाइयाँ दीं। इसके साथ डॉ० शुक्ल को इस बात की बधाई दी गयी कि उनके एक आह्वान पर आज सम्पूर्ण परिवार देशभक्ति के कार्य में समय, शक्ति और धन का सम्यक् सदुपयोग करने लगा यही है पारिवारिक एकता और पारिवारिक अनुशासन। उक्त कार्यों का परिणाम देवाधिदेव महादेव की कृपा से समग्रता के साथ सर्व समक्ष स्पष्ट हुआ कि भारत में संपन्न होने वाले जी 20 समारोह अत्यंत सफलता के साथ अति सम्मानजनक रूप में विधिवत् सम्पन्न हुआ । मोदी जी का व्यक्तित्व वैश्विक पटल पर इतना अधिक दैदीप्यमान रहा कि विश्व के अनेक देशों के प्रधानमंत्री एवं राष्ट्राध्यक्ष उनके ज्ञान वैभव से चमत्कृत होते रहे और यहां तक कि अनेक राष्ट्र अध्यक्षों ने माननीय मोदी जी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस समय भारत विश्व गुरु के सम्मानजनक प्रतिष्ठा की ओर अबाध गति से बढ़ने लगा हैं। यही है देवाधिदेव महादेव जी के अनुपम आशीर्वाद का जाज्वल्यमान प्रमाण, ऊं नमः शिवाय।

यहाँ यह बता देना बहुत ही उचित होगा कि डॉ० शुक्ल कभी भी सरकारी अनुदान नहीं लेते है और न ही समाज से किसी प्रकार का दान और चंदा। वे स्वयं और अपने परिवारी जनों की सहायता से कार्यक्रम सम्पन्न करते हैं जो आदर्शिता के मानक पर अनुकरणीय सिद्ध होते हैं। ऐसे देशभक्त और मूर्धन्य संस्कृत विद्वान तथा उनके पारिवारीय जनों के प्रति नमन और वंदन के साथ मैं भी यही भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि डॉ० शुक्ल के मनोरथ को पूर्ण कर भारत के गौरव को वैश्विक बनाने की कृपा करें जिससे डॉ० शुक्ल का यह उद्घोष- ”सम्पूर्ण विश्व मध्ये श्रेष्ठो मदीय देशः” शीघ्र चरितार्थ हो सके।