जन्मोपरांत शिशु इस धरती पर सबसे असहाय परन्तु साथ ही सबसे अधिक संस्कार और शिक्षा ग्रहण करने वाला प्राणी होता है। पैदा होते ही उसको किसी भी अवस्था में व्यवहार करना नहीं आता लेकिन धीरे-धीरे वह विविध गतिविधियों को सीखना प्रारंभ करता है एवं आगे बढ़ता जाता है। वैदिक कालीन आर्यों का जीवन आमोद प्रिय था जिसमें खेलकूद का स्थान अहम था खासियत यह कि उस समय भी खेलों के नियम थे तथा अपनी दक्षता प्रदर्शित करना, उपहार प्राप्त करना आदि खेलों का उद्देश्य होता था। रामायण काल हो, महाभारत युग हो, सूत्र काल हो अथवा मौर्य युग; प्रत्येक दौर में खेल का मानव जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। काल एवं परिस्थिति ने खेलों के स्वरूप, उनके महत्व तथा तौर-तरीकों को भले ही परिवर्तित किया है तथापि खेलों की महिमा ही है कि इसके प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ता ही गया है।

विविध प्रकार के खेलों को खेलने वाले अनेक व्यक्तित्व प्रत्येक काल में हुए हैं कुछ ने अपनी अखंड तपस्या, अटूट मेहनत व व्यक्तिगत विशेषताओं के कारण एक खास मुकाम बनाया तथा प्रदर्शन करते हुए वैश्विक स्तर पर ख्याति अर्जित की एवं देश की कीर्ति में चार चांद लगाया है। अपने बेहतरीन प्रदर्शन से सफलता प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को भारत सरकार द्वारा भांति-भांति के सम्मानों से नवाजा जाता रहता है जिसमें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड (Major Dhyanchand Khel Ratna Award) सर्व प्रमुख है। खेल का कोई प्रकार हो अथवा कोई खिलाड़ी जिन्हें जब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाता है तब इनके बारे में लेखकों, साहित्यकारों, पत्रकारों द्वारा बहुत कुछ लिखा जाता रहता है। दरअसल हमारे खिलाड़ी गण इसके हकदार भी होते हैं। इन प्रतिष्ठा प्राप्त खिलाड़ियों पर कवियों द्वारा भी काफी कुछ लिखा जाता है लेकिन देश के अनेक कवियों द्वारा मेजर ध्यानचंद खेल रत्न सम्मान से सम्मानित शख्सियतों पर सामूहिक रूप से काव्यात्मक साधना करते हुए एक अद्भुत ग्रंथ का लिखा जाना दुर्लभ प्रयोग रहा है।

विधा कोई भी हो हॉकी, टेनिस, कुश्ती, शतरंज, नौका दौड़ आदि इन समस्त विधाओं में इस प्रतिष्ठित अवार्ड को पाने वाले सूरमाओं के बारे में काव्य के माध्यम से परिचित कराने का जो बेशकीमती कार्य कवियों द्वारा किया गया है, वह इन सब के प्रति अनमोल उपहार हैं।

“मेजर ध्यानचंद खेल रत्न काव्य सरोवर (Major Dhyanchand Khel Ratna Kavya Sarovar” नामक ग्रंथ में पचपन (55) खिलाडी विजेताओं के बारे में सहज, सरल तथा मन के तारों को झंकृत कर देने वाली शैली में कवियों द्वारा रचना की गई है। स्वयं मेजर ध्यानचंद के साथ ही गीत सेठी, विश्वनाथन आनंद, पुष्पेंद्र कुमार गर्ग, होमी डैडी मोतीवाला, कर्णम मल्लेश्वरी, कुंजूरानी देवी, लिएंडर पेस, सचिन रमेश तेंदुलकर, ज्योतिर्मयी सिकदर, धनराज पिल्ले, पुलेला गोपीचंद, अभिनव बिंद्रा, अंजलि भागवत, के एम बीनामोल, अंजू बॉबी जॉर्ज, राज्यवर्धन सिंह राठौर, पंकज आडवाणी, मानव जीत सिंह सिंधु, महेंद्र सिंह धोनी, विजेंद्र सिंह, सुशील कुमार, मैरी कॉम, साइना नेहवाल, गगन नारंग , योगेश्वर दत्त, विजय कुमार , रंजन सोढ़ी, सानिया मिर्जा, साक्षी मलिक, जीतू राय, दीपा कर्माकर, पीवी सिंधु , देवेंद्र झाझडिया, सरदार सिंह, विराट कोहली, मीराबाई चानू, दीपा मलिक, बजरंग पूनिया, मनिका बत्रा, रोहित शर्मा, रानी रामपाल, मरियप्पन थंगावेलू, विनेश फोगाट, नीरज चोपड़ा, प्रमोद भगत, अवनी लेखरा, रवि कुमार दहिया, कृष्णा नागर, मनीष नर, मनप्रीत सिंह, पी आर श्रीजेश, सुनील छेत्री, लवलीन बोरगोहेन, सुमित अंतिल तथा मिताली राज के जीवन पर कविगणों की साधना अमूल्य है।

डॉ. अमित कुमार दीक्षित जी तथा डॉ आशीष कुमार साव जी के मार्गदर्शन मे सभी खेल रत्नों के जीवन पर लेखनी चलाने वाले कवि गणों में डॉ. अन्नपूर्णा श्रीवास्तव जी, डॉ. जय लक्ष्मी जी, नवनीता दास जी, पूनम मिश्रा जी, ज्ञांती जी, डॉ. रमा कंडियान जी, डॉ. प्रतिमा प्रसाद जी, नीता अनामिका जी, निशा प्रसाद जी, संजीव झा जी, प्रोफ़ेसर पंढरीनाथ शिवदास पाटिल “शिवांश” जी, डॉ. अमित कुमार दीक्षित जी, सपना सी पी साव “स्वप्निल” जी, बाबू भंडारी हमनवा जी , डॉ. मोरवे रोशन जी, आनंद पोपटराव शिरापुरे जी, आशा सिंह जी, अपर्णा दुबे जी, सौम्या सिंह जी, विक्रम कुमार साव जी, विनोद कुमार दास जी, पूनम यादव जी, अभिषेक द्विवेदी जी, डॉ. सीमा चंद्रन जी, रंजीता श्रीवास्तव जी, डॉ. कैलाशचंद्र शर्मा “शंकी” जी, डॉ. अजितन जी, ऋषि सिंघई “राज” जी, दीपाली गोपाल कासार जी, शिप्रा शर्मा जी, सरिता सिंघई कोहिनूर जी, प्रीतम भंडारी जी, अर्चना पाठक जी, वर्षा शर्मा जी, डॉ. माया शुक्ला जी, डॉ. आशीष कुमार साव जी, डॉ. अनिता पुरोहित बबेले जी, मनोज कुमार महतो जी, निशी सिंघई जी, गुड्डू कुमार शर्मा जी, डॉ. आरती पूर्णवती जी, डॉ. अंजली सिंह जी, प्रोफेसर एस प्रसन्ना देवी जी, रुद्र चरण मांझी जी, डॉ. गीता तिवारी जी, दीपिका गहलोत जी, सोमलता सुषमा जी, दीप्ति गुप्ता “दीप” जी, तुलसी झा जी, प्रेमलता सिंह “राज” जी, डॉ. रीता सिंह जी, दीपक दीक्षित जी, डॉ. पी के दीपा जी, रूपा कुमारी जी, आशीष भारती जी एवं पुष्पा कुमारी जी द्वारा जो ऐतिहासिक कार्य किया गया है वह वैश्विक ख्याति अर्जित करने का मानक साबित होता है। “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न काव्य सरोवर” के व्यक्तित्व रूपी अमृत कणों को और भी फलदाई व बेशकीमती बनाने में संपादक द्वय डॉ अमित कुमार दीक्षित जी तथा डॉ आशीष कुमार साव जी के समर्पण के प्रतिफल के रूप में यह अनुपम ग्रंथ इस केटेगरी मे विश्व का प्रथम एवं इकलौता ग्रंथ के खिताब प्राप्त करने का हकदार बन सका।

मेजर ध्यान चंद खेल रत्न सम्मान प्राप्त करने वाले 55 खिलाड़ियों पर कवि गणों द्वारा काव्य रूप में लिखी गई प्रथम पुस्तक का श्रेय पाने वाली इस रचना को लोक प्रसिद्धि के अनंतिम सोपान को तो छूना ही था। इसे वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करने वाली विश्व विख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में भी दर्ज करने का फैसला लिया। अंततः 25 जून 2022 को वह पावन दिवस आया जब के बी एस प्रकाशन, दिल्ली (K. B. S. Prakashan, Delhi) द्वारा प्रकाशित इस ग्रंथ को खेल रत्न विजेताओं पर लिखित पहली पुस्तक (First Poetry Book On Khelratna Awardees) नामक शीर्षक से गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book Of World Records) में दर्ज किया गया। ऐसे अद्वितिय ग्रंथ को वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया जाना एक तरफ हमारे देश के इन खिलाड़ियों के अप्रतिम योगदान के प्रति सच्चा सम्मान है तो दूसरी तरफ इन पर लेखनी चलाने वाले कवियों के प्रति भी असीम सम्मान का द्योतक है।