धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में दोपहर के प्रहर में हुआ था। इस वर्ष गणेश प्रतिमा की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि गणेश चतुर्थी तिथि पर शुभ मुहूर्त को ध्यान मे रखकर सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें। फिर पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें पूजा सामग्री में दूर्वा, शमी पत्र, लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से ही पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है। गणेश जी की आराधना केवल दूर्वा से भी की जा सकती है। सर्वप्रथम गणेश जी को चौकी पर विराजमान करें और नवग्रह, षोडश मातृका आदि बनाएं। चौकी के पूर्व भाग में कलश रखें और दक्षिण पूर्व में दीया जलाएं । अपने ऊपर जल छिड़कते हुए। ॐ पुंडरीकाक्षाय नमः कहते हुए भगवान विष्णु को प्रणाम करें और तीन बार आचमन करें तथा माथे पर तिलक लगाएं। यदि आपको कोई मंत्र नहीं आता तो  ॐ गं गणपतये नमः इसी मंत्र से सारी पूजा सम्पन्न कर सकते हैं। हाँथ में गंध अक्षत और पुष्प लें और दिए गए मंत्र को पढ़कर गणेश जी का ध्यान करें। इसी मंत्र से उनका आवाहन करें और आसान भी प्रदान करें। पूजा के प्रारम्भ से लेकर अंत तक अपने जिह्वया पर हमेशा ॐ श्री गणेशाय नमः। ॐ गंगणपतये नमः। मंत्र का जाप अनवरत करते रहें। आसन के बाद गणेश जी को स्नान कराएं। पंचामृत हो तो और भी अच्छा रहेगा और नहीं हो तो शुद्ध जल से स्नान कराएं। उसके बाद वस्त्र, जनेऊ, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि जो भी संभव यथाशक्ति उपलब्ध हो उसे चढ़ाएं। पूजा के पश्चात इन्हीं मंत्रों से गणेश जी की आरती करें। पुनः पुष्पाञ्जलि हेतु गंध अक्षत पुष्प से इन मंत्रों ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात, से पुष्पांजलि अर्पित करें।


कौन सी गणेश मूर्ति घर के लिए अच्छी है वास्तु के अनुसार माना जाता है कि ललितासन यानी बैठी हुई मुद्रा में गणेश जी की मूर्ति सबसे अच्छी होती है। इस मूर्ति को घर लाने से सुख- समृद्धि और शांति आती है। इसके अलावा गणपति जी की लेटे हुए अवस्था में मूर्ति लाना भी माना जाता है शुभ।

सफेद गणेश मूर्तियां रखने के लाभों के बारे में बात करते हैं जो भक्तों को प्रचुर धन, खुशी, स्वास्थ्य, सफलता और समृद्धि प्रदान करती हैं। घर के लिए गणपति की मूर्ति चुनते समय ऐसी मूर्ति रखने की सलाह दी जाती है जिसकी सूंड बाईं और मुड़ी हुई हो। वास्तु के अनुसार, बाईं ओर सूंड वाली गणेश मूर्ति सौभाग्य और सौभाग्य लाने वाली मानी जाती है। ध्यान दें कि दाहिनी और सूंड वाली गणेश प्रतिमा को अनुष्ठानों और पूजा के सख्त अनुपालन की आवश्यकता होती है।
वास्तु के अनुसार गणेश जी को पश्चिम उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर मुख करके रखना चाहिए। चूँकि भगवान शिव उत्तर दिशा में रहते हैं और इसे अत्यधिक शुभ माना जाता है, इसलिए मूर्ति का मुख उसी दिशा में रखने का प्रयास करें।

पूजा शुरू करने से पहले आपको दीया जलाना चाहिए। गणेश जी को लड्डू, मोदक या अन्य भोग लगाएं। लड्डू और मोदक मीठे व्यंजन हैं और गणेश जी की पसंदीदा मिठाइयाँ हैं। गणेश जी को ये चीजें अर्पित करने से आप पर उनकी कृपा बनी रहेगी।

भगवान गणेश जी को सफेद रंग की चीजें चढ़ाना वर्जित माना जाता है क्योंकि सफेद चीजें चंद्रमा से संबंधित है। चंद्रदेव ने एक बार भगवान गणेश के रूप का उपहास किया था, जिसके बाद गणेश जी से चंद्रमा को शाप दे दिया था इसलिए गणपति जी को सफेद रंग के फूल, वस्त्र, सफेद जनेऊ, सफेद चंदन आदि नहीं चढ़ाया जाता है।

गणेश जी का मूल मंत्र = ॐ गं गणपतये नमः।।
” एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।।

महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।
गणेश जी को बेल फल की तरह गणपति जी को भी बेल का फल बहुत पसंद है. मान्यता है गणेश चतुर्थी पर बेल का फल बप्पा को अर्पित करने से उनका विशेष वरदान प्राप्त होता है. अमरूद गणेश स्थापन के समय – पंच फल में अमरूद का भी विशेष स्थान है

गणेश जी का प्रिय फूल: लाल रंग का गुडहल का फूल गणपति को अति प्रिय है। गौरी पुत्र गणेश की आराधना गुड़हल, चांदनी, चमेली या पारिजात के फूलों से करने पर बुद्धि और विद्या में बढ़ोत्तरी होती है।

गणेश पूजा में सबसे पहले गणेश जी का प्रतीक चिह्न स्वस्तिक बनाया जाता है। गणेशजी प्रथम पूज्य हैं इस कारण पूजन की शुरुआत में स्वस्तिक बनाने की परंपरा है।

स्वस्तिक बनाकर पूजा करने से सभी धर्म कर्म सफल होते हैं और जिन मनोकामनाओं के लिए पूजा की जाती है, वे इच्छाएं भगवान पूरी करते हैं। स्वस्तिक का काफी अधिक महत्व बताया गया है, इसे सही तरीके से बनाने पर ही पूजा पूरी होती है।

घर में जहां स्वस्तिक बनाना है, वह स्थान एकदम साफ और पवित्र होना चाहिए। वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वस्तिक बनाना चाहिए। शेष मनोकामनाओं के लिए कुमकुम से स्वस्तिक बनाना चाहिए।

विनायक चतुर्थी के दिन घर के मुख्य द्वार पर आक, पीपल या नीम से बनी गणेश प्रतिमा लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आने के साथ ही धन और सुख में वृद्धि होती है।मान्यता के अनुसार चतुर्थी तिथि पर दोपहर में पूजा के दौश्रान गणेश जी को सिंदूर अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती हैं। माना जाता है कि घर में सुख-समृद्धि के लिए गणेश विनायक चतुर्थी के दिन श्री गणेशजी को लड्डुओं अथवा मोदक का भोग लगाना चाहिए।

इसके साथ ही हर मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा के दौरान गणेश विनायक चतुर्थी पर श्री गणेशजी को 21 दूर्वा अर्पित करते हुए ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।

कैरियर में सफलता, शत्रुनाशक, प्राकृतिक आपदा, आकर्षण वृद्धि और संकट निवारण के लिए श्री गणेशजी के मंत्र इस प्रकार हैं-

1. ॐ गं गणपतये नमः 2. ॐ वक्रतुण्डाय हुं, 3. सिद्ध लक्ष्मी मनोरहप्रियाय नमः, 4. ॐ मेघोत्काय स्वाहा। 5.ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। 6.ॐ नमी हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय निवारय स्वाहा 
श्री गणेश विभिन्न रूपों में


* सफेद आंकड़े के गणेश = तंत्र क्रियाओं में सफेद आंकड़ा (एक प्रकार का पौधा) की जड़ से निर्मित श्रीगणेश का विशेष महत्व है। इसे श्वेतार्क गणपति भी कहते हैं। श्वेतार्क गणपति को घर में स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करने पर घर में किसी ऊपरी बाधा का असर नहीं होता।

* मूंगे के गणेश मूंगा सिंदूरी रंग का एक रत्न = होता है। इससे निर्मित श्रीगणेश की प्रतिमा को पूजा स्थान पर स्थापित करने व नित्य पूजा करने से शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है।

* पन्ने के गणेश पन्ना भी हरे रंग का एक रत्न होता है। इससे निर्मित श्रीगणेश की प्रतिमा की पूजा स्थान पर स्थापित कर विधि-विधान से पूजा करने पर बुद्धि व यश प्राप्त होता है। विद्यार्थियों के लिए पो के गणेशजी की पूजा करना श्रेष्ठ होता है।

* चांदी के गणेश जो लोग धन की इच्छा रखते हैं, उन्हें चांदी से निर्मित गणेश प्रतिमा की पूजा करना चाहिए। इन्हें पूजा घर में स्थापित कर दूर्वा चढ़ाने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और धन का आगमन भी तेजी से होने लगता है। इनकी पूजा करने से जीवन का सुख प्राप्त होता है।

* चंदन की लकड़ी के गणेश चंदन की लकड़ी से निर्मित श्रीगणेश की प्रतिमा घर में कहीं भी स्थापित कर सकते हैं। इससे घर में किसी प्रकार की विपदा नहीं आती, साथ ही परिवार के सदस्यों में सामंजस्य बना रहता है व पारिवारिक माहौल खुशहाल रहता है।

* पारद गणेश धन-संपत्ति प्राप्ति के लिए पारद यानी पारे से निर्मित गणेश प्रतिमा की पूजा भी की जाती है। यदि किसी ने आपके घर पर या घर के किसी सदस्य पर तंत्र प्रयोग किया हो, तो पारद गणेश की पूजा से उसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता।

* बांसुरी बजाते गणेश यदि आपके घर में रोज क्लेश या विवाद होता है, तो आपको बांसुरी बजाते हुए श्रीगणेश की तस्वीर या मूर्ति घर में स्थापित करना चाहिए। बांसुरी बजाते हुए श्रीगणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वातावरण रहता है।

* हरे रंग के गणेश हरे रंग के श्रीगणेश की पूजा करने से ज्ञान व बुद्धि की वृद्धि होती है। विद्यार्थियों को विशेषतौर पर हरे रंग की श्रीगणेश की मूर्ति या तस्वीर का पूजन करना चाहिए।

* हाथी पर बैठे गणेश यदि आप धन की इच्छा रखते हैं, तो आपको हाथी पर बैठे श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए। हाथी पर विराजित श्रीगणेश की पूजा करने से पैसा, इज्जत व शोहरत मिलती है।

* नाचते हुए गणेश नाचते हुए गणेश की पूजा करने से मन को शांति का अनुभव होता है। यदि आप किसी तनाव में हैं, तो आपको प्रतिदिन नाचते हुए श्रीगणेश की पूजा करना चाहिए।

* पंचमुखी गणेश तंत्र क्रिया की सिद्धि के लिए पंचमुखी श्रीगणेश का पूजन किया जाता है, इससे कोई भी तंत्र क्रिया किसी भी बाधा के संपन्न हो जाती है।

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