कविता लेखन मात्र शब्दों को कागज पर उकेरना भर नहीं होता है और न किसी विषय पर कुछ लिखना भर अथवा विचार विमर्श करना होता है। बल्कि समाज के अंतर्मन में चल रहे द्वंद उनकी पीड़ा-हर्ष, विविध भाव तथा निजता की परिधि में सूनी पड़ी गुफाओं में प्रविष्ट कर वहां दम घुट रहे जीवन को नया जीवन देना होता है। सामाजिक सरोकारों (social issue) को अपनी लेखनी के माध्यम से इस कौशल से गढ़ना होता है कि पाषाण हृदय से भी उम्मीद की कोपलें फूटने लगे तथा विकृतियों से व्याप्त परिवेश धवलतम पक्ष का आलिंगन कर सकें।यह भी सत्य है कि कविता लिखना कोई गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं होता है और न तो हर व्यक्ति कविता लिख ही सकता है, हां यह जरूर कहा जा सकता है कि मां सरस्वती के विशेष वरद का कृपा पात्र एवं सरस्वती साधना का अनुशीलक इस पद पर निष्णांत चल सकता है भले ही वह किसी आयु का हो, स्त्री हो या पुरुष, शिक्षित हो या न हो।

हरियाणा का गाँव कोहड़ (Kohad, Haryana) अपनी प्रज्ञा राशि (talent) के लिए विश्व विख्यात (world famous) है। यहां जन्म लेने वाली कई शख्सियतों ने संपूर्ण विश्व में अपनी मेधा का परचम फहराया है। इसी गाँव में रहने वाले पहलवान श्री रवि रावल जी एवं श्रीमती मुनीश रावल जी की गोद में 14 नवंबर 2003 को एक कन्या रत्न का जन्म हुआ जिसका नाम साक्षी रखा गया। पिता की ख्वाहिश थी कि बेटी भी उनकी तरह पहलवानी के मैदान में उतरे तथा घर परिवार का नाम रोशन करें। ईश्वर ने इन सब के विपरीत कुमारी साक्षी के भीतर मां सरस्वती की आराधना को कूट-कूट कर भरा था फलतः वह बचपन से ही काव्य की तरफ उन्मुख हुई एवं टूटे-फूटे शब्दों में कविता लिखना शुरु कर दिया। कहते हैं योग्य गुरु ईश्वर तुल्य होते हैं, कुमारी साक्षी के इस गुण को देखकर स्कूल के प्राचार्य श्री सतीश शर्मा जी (Mr. Satish Sharma) ने जो प्रतिभाओं के बेहतरीन पारखी तो हैं ही साथ ही उन्हें आगे बढ़ाने में नित प्रयत्नशील रहते हैं, इस बेटी को कविता लिखने के लिए प्रोत्साहित किया तथा उचित मार्गदर्शन करने लगे। अब साक्षी के सपनों को पंख लग गए क्योंकि उनके ताऊ जी रविंद्र रावल जी ने कहा था कि “तुम भी कुछ ऐसा करो कि तुम्हारा भी फूल-मालाओं से स्वागत किया जाए” यही बात सदैव कुमारी साक्षी रावल के मन में चलती रहती थी और वह न केवल इन्हीं सपनों में जीती रहती थी वरन् सपनों को गढ़ने हेतु सदैव सन्नध भी रहती थी। अब आप नित्य एक से बढ़कर एक कविताएं लिखने लगी तथा इस पथ पर तेजी से अग्रसर हो गई। देखते-देखते साक्षी ने कुछ ही समय में देश भक्ति से जुड़ी 2104 पंक्तियों की कविता लिख डाली जिसका कुछ संस्थाओं में रिकॉर्ड भी दर्ज हुआ। आगे चलकर अपने रिकॉर्ड को विश्व विख्यात संस्था गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Golden Book of World Records) में दर्ज कराने का आपने विचार बनाया एवं संस्था के कार्यालय से संपर्क कर आवेदन पत्र प्रेषित किया। अंततः आपकी सफलता रंग लाई और 37 सफल महिलाओं के जीवन पर आधारित “भारत की बेटियां” नाम से आपकी प्रकाशित पुस्तक 6 अप्रैल, 2019 को ‘फर्स्ट पोएट्री बुक ऑन सक्सेसफुल वुमन’ (First Poetry Book on Successfull Women) के शीर्षक के साथ गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (GBWR) में दर्ज होकर आपका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड (World Record) के रुप में सम्मिलित हो गया। यह सफलता मात्र साक्षी रावल की सफलता नहीं थी अपितु ताऊजी श्री रविंद्र रावल जी की उम्मीदों की सफलता थी, गुरुदेव श्री सतीश शर्मा जी के मार्गदर्शन की सफलता थी तथा माता-पिता सहित समस्त परिवारजनों के उन सपनों की तरफ बढ़ने की आस का सफल होना था जिसे सभी ने देखा था तथा पग-पग पर इस गोल्डन गर्ल का सहयोग किया था। आज साक्षी रावल अपनी मंजिल की ओर तेजी से अग्रसर है एवम् अहर्निश साधना कर रही है साथ ही अन्य लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं।