सम्पूर्ण ब्रह्मांड में उत्पत्ति, पालन और प्रलय होता रहता है किंतु सृष्टिकर्ता अपने द्वारा रचित संसार को अपनी शक्ति से समय से पूर्व प्रलय के गर्त में जाने से रोकते हैं साथ ही किसी संत या महापुरुष के माध्यम से जनमानस में प्रकृति के प्रति उनके उत्तरदायित्व का बोध करवाते है। जो मानवीय असंवेदनशील व्यवहार से उत्पन्न सृष्टि के असंतुलन को संतुलित करने का कार्य करते हैं। अवधूत समर्थ सद्गुरु दादा गुरु (Samarth Sadguru Shri Dada Guru) ने प्रकृति के साहचर्य के पावन लक्ष्य के साथ इस सदी के अतुलनीय, अकल्पनीय निराहार महाव्रत लिया है। यह महाव्रत पवित्र नदियों के संरक्षण, सम्वर्धन, प्रकृति केंद्रित जीवन शैली, विकास और व्यवस्था के साथ आत्मनिर्भर भारत की जीवंत मिसाल बन कर हमारे समक्ष खड़ा हुआ है। 13 जुलाई 2023 को यह महाव्रत 1000 दिन पूर्ण करते हुए आज भी निरंतर गतिमान है। यह साधना समस्त ज्ञान विज्ञान को चुनौती देती हुई प्रतीत हो रही है। अब तो यह देश दुनिया के लिए भी शोध का विषय बन चुकी है। जीवन जीने के सभी भौतिक आधारों को छोड़कर दादागुरु विगत दिनों से अपनी साधना यात्रा में अनवरत चल रहे हैं। आज के दौर में आपने कई संत, गुरु और बाबा देखे होंगे जो बड़ी-बड़ी गाड़ियों में आते-जाते है एवं कथा के लिए मुँह मांगी क़ीमत वसूलते है। नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए यूँ तो विभिन्न व्यक्तियों के द्वारा विगत कई वर्षों से कई अभियान चलाए जा रहे है। परन्तु यह उन सबसे विशेष है। नर्मदा मिशन के संस्थापक एवं प्रकृति उपासक समर्थ सद्गुरु दादा गुरु ( Samarth Sadguru Shri Dada Guru ) जिन्होंने 1000 दिन से अधिक समय से अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं किया हैं। वे सिर्फ़ और सिर्फ़ नर्मदा जल ग्रहण कर ही अपना जीवन यापन कर रहे है। समर्थ सद्गुरु दादा गुरु से जब पूछा गया की आपका ये महाव्रत कब तक चलेगा? तो इसके जवाब में उन्होंने कहा की “ये तो अखंड व्रत है। जब तक समाज माँ नर्मदा को बचाने के लिए जगरूक नहीं होता, तब तक मैं इसी तरह अखंड व्रत पर रहूँगा। मैं बताना चाहता हूँ कि नर्मदा का जल इतना अच्छा एवं स्वास्थवर्धक है कि सिर्फ़ उसे पीकर भी हम जीवित रह सकते है”। समर्थ सद्गुरु दादा गुरु की इस साधना एवं महाव्रत को गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स ने विश्व कीर्तिमान का दर्जा देते हुए “First to Observe 1000 Days Fast for Social Cause” के शीर्षक के साथ अपनी रिकॉर्ड बुक में दर्ज किया हैं।

17 अक्टूबर 2020 से मां नर्मदा औऱ प्रकृति पर्यावरण की रक्षा, सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए सन्देश देने के उद्देश्य से सिर्फ नर्मदा जी का अमृततुल्य जल को ग्रहण करने वाले दादागुरु ने इन दिनों में माँ नर्मदा की जीवंत समर्थता और जीवन शक्ति को देश दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। वे हमेशा कहते हैं “नर्मदा का पथ ही मेरा मठ है, और रास्ते में पड़ने वाले घर, गांव और नगर ही देवालय।”  ऐसे अवधूत दादा गुरु, प्रकृति और पंचमहाभूत सगुण शक्तियों की जीवंत मूर्ति हैं। जिन्होंने राष्ट्र आराधना का मार्ग प्रशस्त किया है। दादागुरु हमेशा कहते हैं कि “हमारा भारतीय हिन्दू दर्शन प्रकृति, पर्यावरण, पवित्र नदियों, पहाड़ों एवं धरा को जीवंत प्रत्यक्ष शक्ति के रूप में मानता है और पूजता है। यही शक्ति हमारे जीवन, धर्म, संस्कृति, सभ्यता और व्यवस्था का मूल आधार है।”

यह निराहार व्रत, दादा गुरु ने किसी एक स्थान पर रुक कर नहीं किया अपितु इस दौरान आपने 3200 किलोमीटर की नर्मदा जी की पैदल परिक्रमा करते हुए पूर्ण की है। आपकी यह यात्रा तमाम आश्चर्य को बढ़ाने वाली घटनाओं की साक्षी भी रही हैं। साथ ही आपका मूल संदेश प्रकृति के जिवंत तीर्थों के संरक्षण तथा उनके प्रति हमारे श्रद्धा भाव को स्थापित करना ही था। संत श्री दादा गुरु का यह कार्य अपने आप में अद्भूत है इसके लिए उनके इस तप को विश्व कीर्तिमान के रूप में स्वीकार करते हुए संस्था गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स (Golden Book of World Records) द्वारा “Longest Religious Walk While Fasting” शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया है।

नर्मदा मिशन (Narmada Mission) के संस्थापक एवं प्रकृति उपासक समर्थ सद्गुरु दादा गुरु का प्रेम न केवल प्रकृति के लिए है अपितु मानव जाती के लिए भी उतना ही अधिक है। निराहार रहने की इस अवधि में आपने तीन बार रक्तदान भी किया एवं आवश्यक जन के जीवन की सुरक्षा हेतु योगदान देते हुए एक प्रेरक सन्देश प्रेषित किया। आपका यह जन प्रेम अतुलनीय हैं निराहार रहकर इतनी लम्बी यात्रा करने के साथ ही आपने यह अविश्सनीय महादान कर जनमानस में एक मानवता के प्रति एक महान सन्देश प्रेषित किया है। आपके द्वारा किये गए इस कार्य को गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स द्वारा “Blood Donation for Most Number of Times During Prolonged Fasting” के शीर्षक के साथ वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया गया।

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स संस्था ने दादा गुरु के इन तीनों प्रयासों को विभिन्न श्रेणियों में वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया। देश की राजधानी दिल्ली के श्री सत्य साईं ऑडिटोरियम में दिनांक 11 अगस्त को आपके सम्मान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स के नेशनल हेड श्री अलोक कुमार जी (Mr. Alok Kumar ) द्वारा आपके द्वारा किये गए इन तीनों प्रयासों को जो की 1000 दिन की निरंतर निराहार व्रत साधना, इसी अवधि में 3200 किलोमीटर की नर्मदा परिक्रमा और निराहार रहने की अवधि में तीन बार रक्तदान करने के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में स्वीकार कर सर्टिफिकेट प्रदान किया। समर्थ सद्गुरु दादा गुररु का इतने लंबे समय का अनवरत निराहार रहने की खबर देश दुनिया के लिए शोध का विषय बन गई है। जब लोग कोरोना (covid-19 ) काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) को बढ़ाने के लिए पता नहीं क्या कर रहे थे तब आप केवल नर्मदा जी के पानी से ही शारीरिक क्षमता बनाये हुए थे। 17 Oct 2020 से आज दिनाँक तक आपका यह महाव्रत जारी हैं।

अंत में केवल यही कहेंगे की आप जैसे संत के जीवन से प्रेरणा लेते हुए यदि सभी जान मानस अपनी क्षमता अनुसार यदि केवल इतना योगदान दे कि इन पूज्यनीय एवं जीवन दायनी नदियों को साफ़ रखें एवं अनावश्यक दोहन न करें तो ये हमारी आनेवाली पीढ़ियों को भी समृद्धशाली बनाती रहेंगी।
आपके द्वारा किये जा रहे अतुल्य कार्य हेतु आपको सत सत नमन है।
|| नर्मदे हर ||